इन दिनों पलकों पे आँसू नही आते...
पर ये दिल शिकायते तो करताही है,
शहर की गलियोंमें नीम की छाव ढूँढता है,
लम्बे चौडे रास्तोंपर बुढ्ढी के बाल ढूँढता है,
कच्चा आम, खट्टी इमली, जामुन ढूँढता है,
पतंग उड़ाने के लिए मुठ्ठीभर आसमान ढूँढता है,
सुनी महफ़िल सजाने के लिए चुन्नी, पिंकी, राजू, बबलू को ढूँढता है,
वैसे तो इस शहर ने बोहोत कुछ छिन लिया हमसे,
अब तो बस साँस लेने के लिए एक फुरसत का पल ढूँढता है...
.........Pratima
पर ये दिल शिकायते तो करताही है,
शहर की गलियोंमें नीम की छाव ढूँढता है,
लम्बे चौडे रास्तोंपर बुढ्ढी के बाल ढूँढता है,
कच्चा आम, खट्टी इमली, जामुन ढूँढता है,
पतंग उड़ाने के लिए मुठ्ठीभर आसमान ढूँढता है,
सुनी महफ़िल सजाने के लिए चुन्नी, पिंकी, राजू, बबलू को ढूँढता है,
वैसे तो इस शहर ने बोहोत कुछ छिन लिया हमसे,
अब तो बस साँस लेने के लिए एक फुरसत का पल ढूँढता है...
.........Pratima
Gud one .. keep it up !!
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